धरोहर
धरोहर
हमने अपनी संस्कृति अपनी विरासत को संजोय रखा,
इतिहास की अमर उन गाथाओं को हमने संजोय रखा,।।
ऊंची ऊंची मिनारे सुना रही है बीती कहानियां,
हमारी सभ्यता की महक से गुलशन है आज भी ये गलियां,
यहां खुदा की इबादत में भी एक अलबेला एहसास है,
हर थाली में परोसे खाने में कुछ तो खास है,।।
हमने अपनी संस्कृति अपनी विरासत को संजोय रखा,
इतिहास की अमर उन गाथाओं को हमने संजोय रखा,।।
पश्मीना हो या बनारसी पहनावा,
हर पहनावा खुबसूरती को बढ़ाता है,
हैदराबादी बिरयानी हो या सोन हलवा,
हर स्वाद में प्यार और एहसास छुपा रहता है,।।
हमने अपनी संस्कृति अपनी विरासत को संजोय रखा,
इतिहास की अमर उन गाथाओं को हमने संजोय रखा,।।
उत्तर से दक्षिण पूर्व से पश्चिम हमारी संस्कृति हर दिशा में है बिखरी,
पुराने कागज़ों में आज भी जिंदा है संस्कृति,
एक अनोखा रिवाज़ है अतिथि सत्कार,
बड़ा खूबसूरत है जीने का ढंग और रहन सहन का अंदाज,
हमने अपनी संस्कृति अपनी विरासत को संजोय रखा,
इतिहास की अमर उन गाथाओं को हमने संजोय रखा,।।
गीत के बोलो में भी घुली है संस्कृति की मिठास,
रोम रोम में बसा है एक अनूठा एहसास,
एक लहज़ा एक शालीनता हमारी विरासत ने दी,
जो जीवित है आज भी वो धरोहर है हमारी,।।