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DR. RICHA SHARMA

Inspirational

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DR. RICHA SHARMA

Inspirational

धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार

धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार

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धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार सदा खुला रखना।

अपने भीतर हर धर्म के प्रति अपनापन अवश्य रखना।।


माना कि आजकल नहीं देता कोई किसी को भी भाव।

किंतु गंगा मय्या के आशीर्वाद से सदा हो प्रेम का ही बहाव।।

बदलते ज़माने संग ध्यान रहे बदल न जाएं हमारे हाव-भाव।

बस याद रहे कि अंतर्मन में रहे सदैव सुविचारों से भरे चाव।। 

धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार सदा खुला रखना............................


समाज में रहते हुए सहन बहुत कुछ करना पड़ता है।

मन में अधिक वहम न पालें सबको ऐसे ही जीना पड़ता है।।

बनावटीपन तथा दिखावे से भरे रंग में ही रंगना पड़ता है।

इस सुंदर जगत् में हम सबको ही ऐसी जंग लड़ना पड़ता है।।

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धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार सदा खुला रखना............................


किसी भी धर्म के प्रति मन में कभी छल कपट को आने न देना।

जितना हो सके केवल सद्व्यवहार ही करना।।

बुरे या गलत काम करने से सदैव ही डरना।

केवल सत्य-अहिंसा की राह पर ही निरंतर आगे बढ़ना।।

धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार सदा खुला रखना............................


नेकी कर दरिया में डाल की भावनाओं संग जीना।

अपने चरित्र में भले मानस का चित्र ही रखना।।

इत्र के समान सुगंध अपने चारों ओर फैलाना।

महान् कार्य करते हुए ही जगत् से हंसते हुए जाना।। 

धर्म के प्रति भावनाओं का द्वार सदा खुला रखना............................


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