धरा... #19 दिन वसुधैव कुटुम्ब
धरा... #19 दिन वसुधैव कुटुम्ब
बसंत में धरती ने
बसंती फूलों से किया,
श्रंगार, पीले फूलों को
बनाया है अपने गहनें
ओढ़ी है धानी चुनरियां,
ऐ धरा तुम हमें धन-धान्य,
से प्रखरता देती हो
तुम्हारी असीम प्रकृति
निखार देखकर लगता है
तुमने ओढ़ी है धानी,
चुनरियां, तुम हो,
हमारी अन्नपूर्णा,
हे धरा तुम हो हमारी
वसुधैव कुटुम्बृ
