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Vijay Mishra

Tragedy

2.0  

Vijay Mishra

Tragedy

दहेज़ सम्मान से अवसान तक

दहेज़ सम्मान से अवसान तक

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कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा है 

आज फिर एक लड़के का भाव लगा है

लड़की के पिता को मानो एक बड़ा घाव लगा है !!              

कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा है..

लड़के के तरफ से दहेज़ का बड़ा दाँव लगा है

इसको फैलाने में कई शहर कई गाँव लगा है !!

कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा है...

बिटियों का जीवन बनाने में पिता के किस्मत का नाव लगा है

दहेज़ के प्रलोभियों को दहेज़ से इतना लगाव लगा है             

कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा है....

दहेज़ को पाने के लिए मानो इज्जत उनका दाँव लगा है

दूसरे के पैसों पर बेटे के किस्मत का सजाव लगा है !!

कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा है...

बिटियों की किस्मत पर दहेज़ का ये पड़ाव लगा है

इस कुंठा को देने के लिए कितने के जमींन तक दाँव लगा है !!

कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा है....

रोक दो इस गंदगी को कितनों की ज़िंदगी भी दाँव लगी है

पाने वालों को तो कहीं हाव लगा है तो कहीं भाव लगा है  !!

कहीं धूप लगा है, तो कहीं छाँव लगा हैं..... 

                      


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