इंसान बाकी हैं
इंसान बाकी हैं
छूटती हैं मंज़िलें छूट जाती हैं आँसमां
वक्त पर पता चलता हैं कौन हैं और वो हैं कहाँ
घनघोर अँधियारे मे रोशनी के निशान बाकी हैं
अरे अभी तो हमें और चलना है
क्यूकी हमारे अंदर का इंसान बाकी है।
छाप अपनी छोड़नी हैं जो पहुँचा ना कोई वहाँ
वीर अकेला हो चूका हैं साथ कोई अब ना रहा
नेक इरादों के लिए खुद का अभिमान बाकी है
अरे अभी तो हमें और चलना है
क्यूकी हमारे अंदर का इंसान बाकी है।
क्या गलत था क्या सही था
तफ्तीश ही अब जिंदगी था
टूटते हुए रिश्तों मे लग रहा
अभी भी बहुत जान बाकी है
अरे अभी तो हमें और चलना है
क्यूकी हमारे अंदर का इंसान बाकी है।
कर्मठी इस दुनिया मे कर्मकांडो से है भरी पड़ी
लड़ रहा हू मै अकेला साथ ना दे रही अब मेरी घड़ी
धीमे हुए पग हमारे लेकिन कई वर्षो के गतिमान बाकी है
अरे अभी तो हमें और चलना है
क्यूंकि हमारे अंदर का इंसान बाकी है।।
