Kusum Joshi

Inspirational

2.5  

Kusum Joshi

Inspirational

तलाश जीवन की

तलाश जीवन की

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मार के दो कश लगे झूमे संसार,

झूमे संसार भूले घर परिवार,

घर परिवार माँ बाप का प्यार,

तेरे लिए जो तकें राहें हर बार।


नशे में देख तुझे रोती है माँ,

अपनी ही कोख को कोसती है माँ,

हर पल टूटते हैं सपने छनक,

सपनों की लाश को क्यों ढोती है माँ।


पिता ने दुख अपना मन में छुपाया,

प्यार से कभी, कभी सख्ती से समझाया,

झुक गए कदमों में जोड़ लिए हाथ,

चाहते थे क्या बस तेरा ही साथ।


पर ना दिखी तुझे ममता वो प्यार,

झटके में तूने दिया उन्हें दुत्कार,

दिल ही दुखाया तूने उनका सदा,

फ़िर भी वो देते रहे सदा ही दुलार।


नशे की गोद में तू ढूंढता जीवन,

एक बार झाँक के बस देख अपना मन,

क्या था तूने क्या ख़ुद को बनाया,

इंसान से कैसे बन गया शैतान।


जीवन समझता जिसे मौत है वहाँ,

ना ख़ुद का है होश फिर सुख है कहाँ,

ग़म ऐसा क्या जिसे भूलता है तू,

देख तेरे पास है क्या सुंदर जहाँ।


जीवन मिला है कुछ काम कर गुजर,

याद करे दुनिया कि नाम ऐसा कर,

नशे के भँवर में ना खो जा कहीं,

ऐसी अलख जला रोशन हो हर शहर।


जब भी उठें हाथ करने नशा,

एक बार याद कर उस माँ की दशा,

जहर पीता है तू पर मरती है वो,

कश मारता है तू पर जलती है वो।


उस माँ के लिए ही तू छोड़ दे नशा,

जीवन उसने दिया ना कर इसको तबाह,

खुशियाँ ना ढूंढ बेहोश होकर,

होश में बना खुशियों का जहाँ।


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