देशभक्तों की बारी
देशभक्तों की बारी
गुलाम हमारा देश नहीं, गुलाम हम थे
हमारी कमजोरी ने देश का सर झुकाया था
गर्व है हमें उस भगत सिंह पर जिसने
मां के रक्षा के लिए तलवार उठाया था
जो बेच रहे देश को वो भी
अपने ही भारत वासी थे
इस मिट्टी पर ही पले बढ़े थे
इस मिट्टी के ही निवासी थे
पर सुभाष के साहस के आगे
अंग्रेजो के पसीने छूट गए
भागे वो जान बचा कर अपनी
पर भारत मां को लूट गए
सरदार ने अपनी ताकत से फिर
अखंड भारत का निर्माण किया
भीम और राजेंद्र के सेना ने फिर
भारत को संविधान दिया
आजाद तो भारत तब से था पर
ये दर्द हमेशा रहता था
कश्मीर के जैसा स्वर्ग हमारा
हर रोज ही जलता रहता था
इस बार की आजादी ही यारो
मानो सच्ची आजादी है
आज सत्ता में बैठे लोगों में
देश भक्तों की आबादी है
नाम ही नहीं सम्मान भी वापस
मोदी योगी दिलवाएंगे
और देश के सारे दुश्मनों को
जेल की हवा खिलाएंगे
धर्म हो जिसका देश प्रेम
वहीं भारतीय कहलाएगा
जो भारत माता की जय बोलेगा
वहीं भारत में रह पाएगा
आतंकवाद के दिन गिनेचुने बचे है
इनके आकाओ की अब खैर नहीं
और सच्चे इंसान हो किसी मजहब के
हमको उन सबसे कोई बैर नहीं
ये देश कलाम का है
इससे किसी को इनकार नहीं
पर पत्थर फेंकने वालो पर
इस देश को है इकरार नहीं
इनकी औकात इनको समझाने
हर एक जवान हर रात जागेगा
ये आज का भारत है दोस्तो
ये घर में घुस घुस कर मारेगा।