देश प्रेम
देश प्रेम
शत्रुओं को क्षमा करना ईश्वर का कर्तव्य है,
लेकिन दोनों के बीच बैठक बुलाना हमारा कर्तव्य है,
अगर मेरे खून को साबित करने से पहले मौत आती है,
तो मैं वादा करता हूं, मैं मौत को मार दूंगा।
या तो मैं तिरंगा फहराकर आऊंगा,
या मैं उसमें लिपटे हुए वापस आऊंगा,
लेकिन मैं निश्चित रूप से वापस आऊंगा,
हमारा झंडा इसलिए नहीं फहराता क्योंकि हवा चलती है,
यह प्रत्येक सैनिक की अंतिम सांस के साथ उड़ता है जो
इसकी रक्षा करते हुए मर गया।
दुश्मन हमसे सिर्फ 50 गज की दूरी पर हैं,
हम भारी संख्या में हैं,
हम विनाशकारी आग में हैं,
हम नॉकआउट क
े साथ जीतने और जीतने के लिए लड़ते हैं,
क्योंकि युद्ध में कोई उपविजेता नहीं होता है।
मैं एक इंच भी पीछे नहीं हटूंगा लेकिन,
मैं अपने आखिरी आदमी और हमारे आखिरी दौर तक लड़ूंगा,
कुछ लक्ष्य इतने योग्य होते हैं,
असफल होना भी गौरवशाली है।
आपके लिए जीवन भर का रोमांच क्या है, यह हमारे लिए एक दैनिक दिनचर्या है,
कर्तव्य, सम्मान, देश- वे तीन पवित्र शब्द श्रद्धा पूर्वक निर्देशित करते हैं,
आपको क्या होना चाहिए,
आप क्या हो सकते हैं,
आप क्या होंगे।
असंभव बाधाओं के सामने,
जो लोग इस देश से प्यार करते हैं वे इसे बदल सकते हैं।