पैसा तो है हाथ का मैल
पैसा तो है हाथ का मैल
आदर्शवाद यह कहता, पैसा तो है हाथ का मैल,
व्यवहारवाद के आगे, यह सिद्धांत हो गया फेल।
आज समूचा जगत फंसा है, कोरोना के जाल में,
लालची हैं बैरी मानवता के, ये लूट मचाते माल में।
व्यापारी मृत्यु-जीवन के, अंधे हुए स्वार्थ में जाते हैं,
मौत के थे जो सौदागर, वे ही ज्यादा शोर मचाते हैं।
परमार्थ जुबां पर दिल से स्वार्थी,खेलते हैं खूनी खेल,
आदर्शवाद यह कहता, पैसा तो है हाथ का मैल,
व्यवहारवाद के आगे, यह सिद्धांत हो गया फेल।
कर्त्तव्य पालन की कसम थी खाई, ली जब जिम्मेदारी,
आज लूट रहे हैं दोनों हाथ से, जैसे हों कोई भिखारी।
जो आज बो रहे कल वही काटोगे,जब आएगी बारी,
ब्याज सहित ही होगा भुगतना,दौलत ये जाएगी सारी।
बड़ी यातना तब होगी सहनी, और निकल जाएगा तेल,
आदर्शवाद यह कहता, पैसा तो है हाथ का मैल,
व्यवहारवाद के आगे, यह सिद्धांत हो गया फेल।
अक्ल के अंधों तुम कुछ सीखो, कोरोना के योद्धाओं से,
बूढ़ी लाठी जिनकी टूटी या,दर्द तो पूछो नव विधवाओं से।
सारी दौलत हो गई स्वाहा,मासूमों के सिर से उठ गया साया,
जग के देव तुल्य रक्षकों से तुमको,ज़रा भी समझ न आया।
दौलत-तन न संग जाएगा जग में, तव अपयश जाएगा फैल,
आदर्शवाद यह कहता, पैसा तो है हाथ का मैल,
व्यवहारवाद के आगे, यह सिद्धांत हो गया फेल।
प्रभु ने भेजा लक्ष्य जो देकर,उस हित जीवन बहुत जरूरी है,
बुद्धि साहस तो प्रभु प्रदत्त है, पर धीरज की जरूरत पूरी है।
तव वुद्धि और बल की है परीक्षा,नियोजन निर्णय में जरूरी है,
मजबूरों का लहू न चूसो,कल हो सकती तुम्हारी भी मज़बूरी है।
एक से दिन हैं कभी न रहते,रहता है चलता समय चक्र का खेल।
आदर्शवाद यह कहता, पैसा तो है हाथ का मैल,
व्यवहारवाद के आगे, यह सिद्धांत हो गया फेल।
अभी समय है जाग भी जाओ, खुद के मानव होने का ध्यान करो,
कर जाओ जीते जी ऐसा, जग रोए जब तुम यहां से प्रस्थान करो।
त्यागो उन सब कुकृत्यों को जिनकी, निंदा जग में सब ही करते हैं,
परमार्थ के कार्य करो नित, जो यश-कीर्ति हर जीवन में भरते हैं।
दृष्टिकोण विस्तृत निज कर लो, नहीं बनो तुम कोल्हू के ही बैल,
आदर्शवाद यह कहता, पैसा तो है हाथ का मैल,
व्यवहारवाद के आगे, यह सिद्धांत हो गया फेल।
