देखा एक ख़्वाब
देखा एक ख़्वाब
देखा मैंने एक ख़्वाब
जो पहचान मेरी बना जाए
राह मुझे बता जाए
इतने समय से लिखा
मेरे दिल का आख्यान
लफ्ज़ों में कुछ कह जाए।
चाहतों का सिलसिला शुरू हुआ जो
ख़्वाबों का क्रमसार हुआ
बढ़ने लगी ख्वाहिशें दिल की
मुझे भी लेखन से प्यार हुआ।
मन में उठे हिलोरों को मैं
झटपट कागज़ पर लिखती हूं
जब ना सूझे मुझको कुछ भी
पठन कार्य मैं कर लेती हूं।
हसरतें मानव मन की वैसे
हरदम बढ़ती जाती हैं
अरमान मेरा बस इतना ही है
लेखनी मेरी चलती रहे
अगर भ्रमित हो जाऊं कभी मैं
मुझे उचित मार्गदर्शन मिलता रहे....।