देख रहा हूँ
देख रहा हूँ
मैं देख रहा हूँ।
और क्या देखता हूँ कि
जिंदगी तलाश में थी,
जिस राह की।
राह तो खुद ढूंढ रही थी।
उसे उस राह पर।
मैं देख रहा हूँ
बदल कर बदलाव लाते हुए।
जिदंगी बदलाव का विचार है।
यह मत सोचना कि,
कितनों ने सुना,
एक भी जाग गया तो,
बदले गा समय।
मैं देख रहा हूँ
साहस के साथ,
खडा़ होना ।
सच्चाई के साथ,
अपने ब्यानों से,
बदलने वाले इंसान नहीं।
मैं देख रहा हूँ।
जीत होगी,
एक दिन सत्य की ही।
दौड़ ले सौ पैरों पर झूठ वहीं।
मैं देखूँ गा
आगे बढते हुए।
और देखना साहस भरते हुए।