देख कर चलो
देख कर चलो
देख कर चलो ए मुसाफ़िर
ये जिंदगी उन्नति की सीढ़ी तो चढ़ा देती है
पर अहंकार रूपी सांप को बिठा देती है राह में
अपना निवाला लेने के लिए
देख कर चलो ए मुसाफ़िर
ये जिंदगी मंजिल तो दिखा देती है
पर 'संभलकर, मोहमाया का दलदल है आगे'
ऐसा कोई फलक नहीं लगाती।