डूबती नैया।
डूबती नैया।
भटक रही मेरी डूबती नैया, सूझ न पड़े कोई खिवैया।
कहीं डूब ना जाए बीच मझधार में, दिखे ना कोई पार लगैया।।
भटक रहा हूँ शान्ति पाने को, अटक गया भव- जाल में।
कोशिश कर-कर थकित हुआ, फँसता ही गया जंजाल में।।
केवट हुआ भव पार, श्री राम जी के चरण कमलों से।
हृदय भरा कलुषित विकारों से, होंगे दूर तुम्हारे दर्शन से।।
गजराज की सुन करुण पुकार, सिधारे तुम उद्धार करने को।
किस मुख से तुमको मैं पुकारूँ, तुम बैठे पीड़ा हरने को।।
पार लगाई तुमने सबकी नैया, वरद- हस्त रखना काम तुम्हारा।
अबकी बेर "नीरज" को पार लगा दो, तुम हो सिर्फ मेरा सहारा।।
