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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

Abstract

डूबने से पहले आओ

डूबने से पहले आओ

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प्यार की संभावित सम्भावना में

डूबने से पहले आओ

आओ अपनी अधूरी मुलाकातों के

सिलसिले बढ़ाये।


अपने अपने तरीके से

अलग अलग भी

साथ साथ भी।


चलो माना पहली बार तुम्हे

स्त्री और पुरुष के बीच

आदिम आकर्षण का एहसास हुआ

पहली बार,किसी दिन किसी क्षण

कोशिशें कामयाब हुयीं

और दिमाग सन्तुष्ट हुआ।


जिज्ञासा बढ़ी

दिल के अंदर तक गयी

और तब दिल ने कहा

सत्य तो सिर्फ़ इतना सा था कि

आप ने प्रेम की भूख को

सौंदर्य का आकर्षण माना।


समय था एक हसरत भरी दृष्टि का

जिज्ञासा भरी दृष्टि से टकराने का।


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