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Pranay Naigaonkar

Action Thriller

1.2  

Pranay Naigaonkar

Action Thriller

डटकर खड़ा था वो

डटकर खड़ा था वो

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बर्फीले तूफ़ान में

थामे भारी बन्दूक

बिना पलकें झपकाएँ

डटकर खड़ा था वो


रेतीले तूफ़ान में

गर्म हवाओं को झेलता

बिना पलकें झपकाएँ

डटकर खड़ा था वो


अभी अभी चली थी गोली

छलनी कर गई थी

उसके साथी का सीना

बिना पलकें झपकाएँ

फिर भी डटकर खड़ा था वो


पत्थरबाज़ी कब हो जाए शुरू

कब हो जाए दुश्मन का हमला

सोचता था हर पल

बिना पलकें झपकाएँ

फिर भी डटकर खड़ा था वो


दो साल से मिली नहीं छुट्टी

बच्चों को याद करके मंद मंद मुस्काता

बिना पलकें झपकाएँ

डटकर खड़ा था वो


बाढ़ की हालत में अपना हाथ बढ़ा कर

लोगों को बचाते-बचाते थक चुका था

बिना पलकें झपकाएँ फिर भी

डटकर खड़ा था वो


जंगल में भटकते-भटकते ५ दिन हो चुके थे

थक कर चूर हो चुका था

बिना पलकें झपकाएँ

फिर भी डटकर खड़ा था वो


कभी वायु से कभी अग्नि से

कभी पहाड़ो पर कभी टीलों पर

कभी जंगलो में तो कभी शहरों में


दुशमन को सामने देखकर

बिना पलकें झपकाएँ

डटकर खड़ा था वो


अमन है शांति है सद्भाव है

देश में और जीवन में

क्यूँकि दूर कही मुश्किल हालातों में

बिना पलकें झपकाएँ

अब भी डटकर खड़ा है।


अब भी डटकर खड़ा है वो।।


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