डरने की क्या बात---
डरने की क्या बात---
पुकारता कोई दिल की आवाज है
दोस्ती दुश्मनी दोनों ही जज्बात
डरने की क्या बात।।
मौत तो सच्चाई एक दिन जरूर
गले लगाएगी मौत की आहट लम्हा
लम्हा डरने की क्या बात।।
कली फूल की जिंदगी दुनियां के
जर्रे में मिलने के लिये ही फिर
अंजाम से अंजान रातभर आँसू
बहाने की क्या बात।।
बागवान ही बांगवा बसाता
उजाड़ता यकीन यही जिंदगी
विखरने की क्या बात।।
बांगवान जालिम नही होते
खुदा की रहमत के फरिश्ते जहाँ में
अपने जज्बे जज्बात,
भयानक जालिम की क्या बात।।
पीताम्बर का अंजाम क्या
पीताम्बर तो जहां में खुदा की
इनायत का इनाम दरिंदों से
डरने की क्या बात।।