डर
डर
हाँ मुझे डर लगता है
हाँ मुझे हर शय से डर लगता है ।
किसी को अपना बनाने से डर लगता है
किसी का हो जाने से डर लगता है।
ख़ामोश रहने से डर लगता है,
बात करने से डर लगता है।
कहीं कोई बिछुड़ा हुआ ना मिल जाए
इस बत से डर लगता है,
कहीं कोई अपना ना बिछुड़ जाए
इस बात से डर लगता है।
कहीं तुम ख़्वाबों में ना आ जाओ
इसलिए सोने से डर लगता है,
कोई तुम्हें मेरी आँखो में ना देख ले,
इसलिए आँखे खोलने से डर लगता है।
ग़र हूँ बेसहारा तो डर लगता है,
ग़र कोई दे दे सहारा
तो भी डर लगता है।
कौन अपना है, कौन पराया,
यही सोच कर मुझे डर लगता है।
हाँ मुझे हर शय से डर लगता है।