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Pawanesh Thakurathi

Tragedy

3  

Pawanesh Thakurathi

Tragedy

डाक्टर

डाक्टर

2 mins
48


मेडिकल कॉलेज में

ट्रेंनिग के बाद

उसे शहर के हास्पिटल में

नई- नई जाइनिंग मिली थी


पहले दिन

वह ज्यों ही अपने आफिस में गया

कंपाउंडर ने बताया-

सर मरीज की हालत नाजुक है। 


डॉक्टर ने तुरंत जांच की

पता चला कि हार्ट की 

सर्जरी करनी पड़ेगी


मरीज को आइ. सी. यू. में

भर्ती करा दिया गया। 


कुछ ही मिनटों बाद

एक और मरीज आया

दुर्घटना के कारण

उसके मस्तिष्क में 

गंभीर चोटें आईं थीं


डाक्टर ने सीटी स्कैन किया

पता चला कि मस्तिष्क का

आपरेशन करना होगा

डाक्टर ने तुरंत

आपरेशन थियेटर लगवाया


कुछ ही मिनटों में एक और मरीज आया

उसके कुछ मिनटों बाद एक और मरीज आया

उसके कुछ मिनटों बाद फिर एक और मरीज आया

इस तरह मरीज आते रहे

डाक्टर इलाज करता रहा


शाम तक वह पचास से अधिक

गंभीर मरीजों का 

इलाज कर चुका था

घर जाने से पहले

उसने नर्सों से कहा कि

कोई भी प्राब्लम हो तो

तुरंत फोन कर लेना


खाना खाने के बाद

डाक्टर लेटा ही था कि

उसके फोन की रिंगटोन बज उठी

फोन रिसीव करते ही

एक नर्स की आवाज आई-

सर बैड नंबर 14 वाले

मरीज की हालत बहुत खराब है। 


डाक्टर ने कपड़े पहने

गैरेज का शटर खोला

और बाइक को सीधे

हास्पिटल की ओर मोड़ दिया


उसकी नई-नवेली दुल्हन

झुंझलाती रही-

हे भगवान ! कहाँ फंस गई.. 

पहले ही दिन से यह हाल है। 


कई साल बीत गये

डाक्टर ने हजारों मरीजों का

इलाज किया

कइयों को नया जीवन दिया


अब शहर के मशहूर डाक्टरों में

उसका नाम लिया जाता था


इसके अलावा 

अब उसका एक

भरा-पूरा परिवार भी था

लेकिन उसकी पत्नी और बच्चे

उसके साथ नहीं रहते थे


उसकी पत्नी की शिकायत थी-

डाक्टर साब अपने परिवार को

बिल्कुल भी समय नहीं दे पाते हैं

बस मरीजों में उलझे रहते हैं। 


इधर कुछ दिनों से शहर में 

कोरोना वायरस ने

अपने पर पसार लिए थे


रोज सैकड़ों मरीज हास्पिटल में आते

डाक्टर साब अपनी टीम के साथ

उनका इलाज करते


कोई भी मरीजों के निकट नहीं जाता

पारिवारिक सदस्यों को भी उनसे

दूर रखा जाता

डर था कि

कोरोना किसी और को न पकड़ ले 


बैडों पर मरीज- ही- मरीज

पड़े हुए थे

डाक्टर साब पूरे समर्पण से

उनका इलाज करते

यहाँ तक कि अब वे रात को

घर नहीं जाते थे

अपने ही आफिस में पड़े रहते। 


उनकी मेहनत के कारण

मरीज लगातार ठीक हो रहे थे

बावजूद इसके कुछ मरीज ऐसे भी थे

जो लाख कोशिश करने के बावजूद

नहीं बच पा रहे थे


जिन मरीजों के निकट कोई नहीं जाता

डाक्टर साब अकेले उनके पास जाकर 

उनकी देखरेख करते


परिणाम यह हुआ कि

अधिकांश मरीज ठीक होकर

अब अपने घर चले गये थे। 


उस दिन शाम का समय था

पता नहीं क्यों 

डाक्टर साब के मन में

अपनी पत्नी और बच्चों से

मिलने की इच्छा हो रही थी


उन्होंने आफिस से ही

पत्नी का फोन नंबर डायल किया

उधर से आवाज आई

लेकिन वह आवाज

डाक्टर साब के कानों तक नहीं पहुंच पाई

वे वहीं पर निढाल होकर गिर पड़े। 


दूसरे डाक्टरों ने

उनका शव उठाकर

उसकी जांच की

डाक्टर साब कोरोना पाजिटिव पाये गये थे। 



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