दबी ख्वाहिशें
दबी ख्वाहिशें
ख्वाहिशों को दिल में, दफन कर दिया है
खुद को उसने एक, शमशां बना रखा है
खुशियां तो यहां वहां, गिर के बिखर चुकी हैं
पर ग़म को बड़े करीने, से सजा रखा है
आंसुओं ने आंखों में, घर बना लिया है
मुस्कुराहटों को, मेहमां बना रखा है
मोहब्बत का जज़्बा दिल में, आए भी तो कैसे
नफ़रत को उसने अपना, दरबां बना रखा है I

