दायरा
दायरा
ये दायरे मेरे तुम्हारे दरमियाँ
परिभाषित करते हैं
हमारी सोच की परिधि को।
प्यार आज की तारीख में
बँट गया है दो सीमित संकुचित
सोच रखने वाले लोगों में।
इस प्यार में सीमायें हैं
शायद इसलिए
ये प्यार अंतहीन नहीं है।
या यूँ कहूँ कि
ये विस्तारहीन सोच
प्यार तो है ही नहीं।
इस प्यार में
सुझाव देना और दखल देना
एक ही बात है।
दो लोग
साथ तो हैं पर ये
खुद में दो दुनिया हैं।
प्यार असीम है
विस्तार है यह अलग सोच और
इंसान का कायल नहीं।
आज ये प्यार बस
एक आदत भर है
ना इस प्यार में कोई इख़्तियार है
न कोई फ़राइज़।
कल तक जो प्यार
इंसान को मुक्त करता था
अचानक आज सभी को
परतंत्रता सूचक लगने लगा है।
अर्थात प्यार आपको
स्वछंद करता है
उन सारी भावनाओं से
मुक्त करता जो आपको डुबोती है।
बकौल मेरे प्यार
वो पतवार है जो आपकी नाव
कभी डूबने नहीं देता।
बल्कि आपको
एक सफल
नाविक बनाता है।
नफरत के बदले अक्सर
नफरत ही मिलती है
पर प्यार के साथ
इक उम्मीद जुड़ी होती है।
और यह उम्मीद
आपके दिल के
अंधियारे को रोशन कर देगी।
तो एक बार
यह दिलचस्प बेवकूफी
और खुबसूरत हिमाकत ही सही
कर के देख लीजिए,
यह आपको नहीं
पर आपका नज़रिया
जरूर बदल देगी।।
