दादा को बता दूंगा।
दादा को बता दूंगा।
मारा मारी हो गई एक दिन
मेरी, राजू की ठन गई।
मैने पटका, उसने मारा
देख रहा था मोहल्ला सारा।
किसी तरह दोस्तों ने छुड़ाया,
दादा को बता दूंगा उसने धमकाया।
डर के मारे हाल बुरा था
सपने में भी दादा दिखता
खयालों में, मैं रोज़ पीटता।
निकलता डर -डर के घर से,
घिर गया था चारों ओर से।
फिर एक दिन ख्याल आया,
राजू को सॉरी बोल आया।
सोया उस दिन बिना डर के,
सीना चौड़ा कर, निकला घर से।
राजू से बोला धीरे से ,
दादा से मिलवा दो
मुझे भी उस वीर के दर्शन करा दो।
ले गया घर अपने,
टूटे जैसे मेरे सपने।
पोपले मुंह वाले दादा को देख ,
धीरे से पांव छू कर ।
मन ही मन बोला
वाह दादा वाह,
मैं भी दादा को बता दूंगा।