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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational Others

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सरफिरा लेखक सनातनी

Inspirational Others

दादा की याद आती है

दादा की याद आती है

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मैं पग पग चलता गया 

नजर नहीं आया वो पुराना

जमाना 

बचपन के खेल वो जवानी का तराना।


कैसे खत्म कि हमने वो पुरानी बातें

जब हुआ फोन का आना

अब दोस्त दोस्त से 

नहीं मिलता फोन पर है बतलाना।


कभी किसी बुजुर्ग को देख

दादा की याद आती हैं

सेवा से दूर हुए हम 

वो बात रुलाती है

इतना मुंह नहीं था अपने बेटे में

पोते को देख दादा में 

जान लौट आती है।


सेवा कर लेना आने वाली पीढ़ियों

मेरा पिता भी किसी का दादा बना है।


दादा बना है पिता

मेरी संतान का

कैसे भूल जाऊं इन को

बेटा है उस महान का।


बस विनती यही कर रहा हूं सब से 

अपने दादा की सेवा करना अब से


बन जाना उस बुढ़ापे की लाठी 

चलना बनकर बुढ़ापे का साथी

नहीं भूलना कभी भी 

बन जाओगे तुम एक दिन माटी।



ଏହି ବିଷୟବସ୍ତୁକୁ ମୂଲ୍ୟାଙ୍କନ କରନ୍ତୁ
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