दादा जी व उनका गांव
दादा जी व उनका गांव
दादाजी की बात थी बहुत निराली
एक भी दिन उनका जाता ना खाली,
देते थे सब को वे सीख सुहानी
मूल मंत्र था सब से दोस्ती निभानी,
गांव भर में थे सब तरफ चर्चे उनके
सरल जीवन बिताते मेहनत करके,
हरियाली करी हर जगह पेड़ लगाके
मदद की बेरोजगारों की रोजगार दिलाके,
गांव में नये कृषि संसाधन व तकनीक के बारे में
समझाते लोगों को वे बैठकर बरगद की छांव में,
खुशहाली व बरकत लाना चाहते थे अपने गांव में
नई तकनीकों से विकास करना चाहते थे गांव में,
बच्चे बूढ़े सभी को देते अच्छे संस्कार
सही ज्ञान बांटते सदैव सब में बारंबार,
प्यार भरी विरासत देते सबको हर बार
स्नेह,भाईचारा बढ़ाओ था उनका सुविचार,
मनाते वे सभी त्योहार मिलजुलकर सबके साथ
उन्नति करने गांव की सब हो गए दादा जी के साथ,
बन गया जल्दी ही निर्मल गांव सब के प्रयासों के साथ
मान सम्मान बढ़ गया गांव का दादा जी के नाम के साथ।
