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Ram Chandar Azad

Abstract

2.5  

Ram Chandar Azad

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चुपके चुपके

चुपके चुपके

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209


चुपके चुपके गाने वालों

मंद -मंद मुस्काने वालो

थोड़ा सा हँस गा लेने से,

जीवन सदा महक जाता है।


कितनो को ऐसे देखा है

आहें भर- भर के रोता है

भला बताओ रो लेने से,

क्या कोई दुःख कम होता है।


रोकर नयन गँवाने वालो!

औरों को भी रुलाने वालो!

गम के आंसू पी लेने से,

जीवन पुनः चहक जाता है।


रात भले कितनी काली हो

फिर भी उजाला आता ही है

खोया समय भले ना आये,

फिर भी अवसर आता ही है।


समय को लेकर रोने वालो!

समय-कदर न करने वालो!

अवसर को अपना लेने से,

बिगड़ा भाग्य चमक जाता है।


हार-जीत है खेल जगत का,

जीता कभी कभी तो हारा

हार जीत को एक सम जाने,

स्वागत होगा सदा तुम्हारा।


हार पे अश्रु बहाने वालो !

जीत पे खुशी मनाने वालो !

दोनों को अपना लेने से,

जीवन पुष्प महक जाता है।


जीवन हैअनमोल खजाना

क्योंकर इसको व्यर्थ गँवाते

आने वाले कल की सोचो,

बीते कल पर क्यों पछताते।


अपनी बात सुनाने वालो !

सुबह को शाम बनाने वालों !

समय के संग संग चलने से।

बिगड़ा भाग्य संभल जाता है।।


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