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Sonam Kewat

Abstract Tragedy Thriller

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Sonam Kewat

Abstract Tragedy Thriller

चुनूँ या नहीं

चुनूँ या नहीं

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सब कहते हैं कि वो मेरे लिए सही है 

मैं उस से कदम मिलाकर चल सकती हूं 

पैसे खुब कमाता है वो इसीलिए 

मैं बिना कमाए भी रह सकती हूं 


वह मेरे साथ जब भी रहता है तो 

जमाने के लोगों की बातें करता है 

मिन्नते हजार करतीं हूँ तो जाकर

कुछ एक मुलाकातें करता है 


मैंने उसे अपना रब बना लिया है पर 

उसे तो मेरी कदर ही नहीं है 

उसके 24 घंटे का पता है मुझे पर 

उसे तो मेरी खबर ही नहीं है 


माना दिनभर व्यस्त है तो ठीक है 

रातों में भी बहुत जल्दी सो जाता है 

दिन में जब भी बात करना चाहूं तो 

वापस कहीं जाने को तैयार हो जाता है 


अरे पूरा वक्त ना सही 

थोड़ा वक्त तो देना चाहिए ना 

हर दिन ना सही कम से कम 

एक दिन तो मेरा होना चाहिए ना 


घर वालों को वह पसंद है पर 

अपने दिल की सुनाया सुनूं या नहीं 

अब तुम ही बता दो जिंदगी बितानी है 

तो मैं उसे चुनूँ या नहीं।


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