STORYMIRROR

Rashmi Sinha

Inspirational

4  

Rashmi Sinha

Inspirational

चुनौती स्वीकार्य

चुनौती स्वीकार्य

1 min
316


विकलांगता,

ईश्वर प्रदत्त,

जिसमे नही इंसान का दोष,

कभी दृष्टिहीनता,

अंग-भंग, मानसिक असंतुलन--

तरह-तरह की विकलांगता से,

लड़ते जूझते ,

लाखो लोग,

सलाम इनकी हिम्मत को,

समाज मे घुलने,मिलने को बेताब,

एक दिन सिद्ध कर ही देते हैं

अपनी उपादेयता---

सीना तान,

लाखों उदाहरण भरे,

आह!! क्या कहूँ विकलांग सोच को,

इनका उपहास उड़ाती, दया दृष्टि डालती,

एक दिन ये विकलांग होंगे बड़े,

और ये दिमागी दिवालिये,

इनके समक्ष बौने,

लज्जित खड़े।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational