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कुमार संदीप

Abstract

4.8  

कुमार संदीप

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चुनाव विशेष

चुनाव विशेष

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लोकतंत्र का महान पर्व चुनाव

अब नजदीक आ गया

फिर अब जनता से

नय-नय वादे किये जाएंगे

गरीबी मिटाऊंगा

रोजगार दिलाऊंगा

भूख से कोई न मरेगा

ये सभी वादे किए जाएंगे

नेता जी वोट मांगकर जाएंगे

फिर से वादे अधूरे रह जाएंगे



पांच साल के लिए

न केवल आप प्रतिनिधि चुनते हैं

आप चुनते हैं

अपने बच्चों का भविष्य

रोजगार के नव अवसर निर्माता को

गरीबी मिटाने वाले नेता को

किसान के दुःख

आसान करने वाले नेता को

इसलिए चुने उसी को जो ...

करे वादे को पूर्ण

न कि ... करें जो स्वयं का उद्धार

नहीं फिर वही होगा

नेता जी वोट मांगकर जाएंगे

फिर से वादे अधूरे रह जाएंगे


नए-नए वस्त्र पहनकर

मुख से अमृत बोल बोलकर

आपसे करें गुहार कि..

कर दूंगा मैं आपके

सभी दुःखों का बेड़ा पार

एक बार तो दीजिए मौका

न सहन करना पड़ेगा आपको दुःख

इस तरह के झूठे वादे करने वाले नेता को

पहचाने नहीं तो फिर ...

नेता जी वोट मांगकर जाएंगे

फिर से वादे अधूरे रह जाएंगे


कब तक युवा सहते रहेंगे

स्वघोषित बेरोजगार की मार

कब होगा अन्नदाता के दुःखों का बेड़ा पार

कब तक सैनिकों की जान

यूं हीं जाती रहेंगी

कब नारी हमेशा के लिए

पापियों से सुरक्षित होगी

कब राष्ट्र से सभी लोगों का राष्ट्रप्रेम होगा

ये होगा तभी जब ...

राष्ट्र का प्रतिनिधि होगा

स्वार्थवाद रहित

करेगा कार्य केवल देशहित में

नहीं तो फिर ...

नेता जी वोट मांगकर जाएंगे

वादे अधूरे रह जाएंगे




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