चंद्रयान 3
चंद्रयान 3
“ मैं इंसान हूँ, नहीं हारना फ़ितरत मेरी
चाहे रोके मुझको आग, पानी, कुदरत सभी
गिरता हूँ, फिसलता हूँ, पर चलता हूं उठ के
तब फतह कर पाया हूँ, मैं शोहरत सभी "
“ मैं इंसान हूँ, नहीं हारना फ़ितरत मेरी
चाहे रोके मुझको आग, पानी, कुदरत सभी
गिरता हूँ, फिसलता हूँ, पर चलता हूं उठ के
तब फतह कर पाया हूँ, मैं शोहरत सभी "