चम्बल की छाती
चम्बल की छाती
चम्बल की जो छाती है
नहीं नित-नवल-नीर से निखरी
संवरी समय-समीरों संग
यह जीवन की सहपाठी है!
यह चम्बल की जो ख्याति है
सैनिक सुत वीरों की थाती है
दस्यु-पुत्रों की भी कथा अनेक
विहंगम जिनकी परिपाटी है!
औद्योगिक जहरों से बची हुई
अपनी प्राचीनता में रची हुई
तटबंधों पर त्वरित मलय से
गाथा जीवन-प्रताप सुनाती है!
चम्बल की ही प्रथा है मुझमें
सदियों सहेजी व्यथा भी मुझमें
संस्कृति के सहज सोपानों की
छटा गहरी मुझमें सुहाती है!