सरे-बाजार...
सरे-बाजार...
जितनी ख़ामोशी चेहरे पर लज्जाती है
सूरत उतना काबिल अखबार हो जाती है
इश्क़ पढ़ने वाले भी क्या किरदार होते हैं
मुस्कुराहटों से खबर सरे-बाजार हो जाती है!
जितनी ख़ामोशी चेहरे पर लज्जाती है
सूरत उतना काबिल अखबार हो जाती है
इश्क़ पढ़ने वाले भी क्या किरदार होते हैं
मुस्कुराहटों से खबर सरे-बाजार हो जाती है!