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Surendra kumar singh

Abstract

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Surendra kumar singh

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चलो

चलो

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चलो उस तरफ चलें

उस तरफ

वो जो दिख रहा है

अंधेरे का पहाड़

उसके शिखर पर चढ़ें।

क्यों कामना करें

हमेशा रौशनी की

सहारा लें

प्रार्थना का

ज्ञान का

शास्त्र का।


चलो

उस तरफ चलें

जिधर प्रकृति खुद

बदल रही है

और हमें बदलने का

सन्देश दे रही है

नया प्रेम है

उसका हमसे

जो हम नहीं कर सकते

हमारे लिये खुद कर रही है।


एक पल के

लिए बंद करें आंखें

सोचें हम क्या नहीं कर सकते हैं

और दीदार करें

प्रकृति का

वो सब करते हुये।

नया रूप है

प्रकृति का

अवतरित है हममें

हमारे लिये।


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