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Praveen Gola

Romance

3  

Praveen Gola

Romance

चिपकी - चिपकी गर्मी में

चिपकी - चिपकी गर्मी में

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चिपकी - चिपकी गर्मी में ,

चिपका बदन तेरे नाम किया ,

ओ मेरे साँवारिया तूने ....

यूँही मुझे बदनाम किया।


हर रात तेरी नशीली बनी ,

हर दिन तेरा गुलजार बना ,

तुझे अपने दिल का ही नहीं ,

अपना ज़िस्म का दावेदार किया।


अपना मिलन अधूरा ही सही ,

पर उसमे शोले सी गर्मी है ,

तभी दूर से भड़क कर भी ,

तेरे दिये की लौ जलती है।


चिपकी - चिपकी गर्मी में ,

हल्के से इशारे ने काम किया ,

तेरी बहकती ज़वानी को ....

अपने ज़िस्म का गुलाम किया।


ये इश्क नहीं मरने वाला ,

डूबेंगे इसमे हम दोनो ,

चिपक - चिपक एक दूजे से ,

पा जायेंगे ये जहाँ दोनो।|



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