छोटू
छोटू
वो कॉलेज के रास्ते पर रोज़ मिलता है
मेरी तरफ देख कर रोज़ मुस्कुराता है
मैं उसे अक्सर नज़रअंदाज़ करती हूँ
पर वो ढींठ है बिलकुल नहीं मानता है
क्या मिलता है उसे मुझे यूँ ताकने में
उसकी घूरती नज़रों से डर लगता है
लगता है स्कैनर है उसकी आँखों में
मेरे अंदर बाहर सब कुछ देख लेता है
हाँ वो ढींठ .....
कई बार सोचा शिकायत कर दूँ
कॉलेज में प्रिंसिपल को बता दूँ
या पुलिस में रिपोर्ट लिखवा दूँ
तब वो मुझे मासूम नज़र आता है
हाँ वो ढींठ .....
आपने क्या समझा कौन है वो
कोई आशिक जिस पर अब
मेरा दिल भी कहीं आने लगा है
कई बार ऐसे ही तो प्यार हो जाता है
हाँ वो ढींठ .....
हाँ मुझे उस पर प्यार आने लगा है
उसकी हालत पर तरस आने लगा है
टपरी वाला जब चिल्लाता है उस पर
मेरी आँखों से झरना बह निकलता है
हाँ वो ढींठ .....
उसकी आँखे मुझसे शायद यही पूछती है
क्या मैं भी कभी पढ़ाई कर पाऊँगा
तुम्हारी तरह कॉलेज क्या जा पाऊँगा
वो बस हॅंस के सब को चाय पहुँचता है
हाँ वो ढींठ .....
और ये सवाल करते हैं परेशां बहुत मुझे
इस छोटी उम्र में वो बड़ा बोझ उठता है
कहने को तो वो भी देश का भविष्य है
पर वो अपने घर का वर्तमान संभालता है
तभी तो ढींठ .....