छोरियों का धमाल
छोरियों का धमाल
अनसुन कर पायल की छम - छम
उसने थिरकना सीख लिया,
खोल अब घुघंट के पट,
उसने बोलना सीख लिया।
गांवो की गलियों से निकल,
पानी के पनघट से दूर,
गाय - भेसो के तबेले से हट,
उसने चलना सीख लिया,
अनसुन कर पायल की छम - छम
उसने थिरकना सीख लिया।
नारी है, बलशाली है,
मर्दों पर भी भारी है,
क्या मुक्केबाजी, क्या पहलवानी, क्या तीरंदाज़ी?
हर जगह" मेडल" ला रही है,,
संभाल रही" आंगन "भी, और लहरारही "परचम "भी,
यह गांव की" छोरिया "अब जीने लगी है अपने दम पर भी।
अनसुन कर पायल की छम- छम
उसने थिरकना सीख लिया।
शालिनता को ओढ़े हुए, सभ्यता को लपेटे हुए
संस्कारों को समेटे हुए,
चल रही है, बढ़ रही है,
अपने गावों, अपने कस्बे, अपने परिवार का नाम,
देश - विदेश रोशन कर रही है।
अनसुन कर पायल की छम - छम
उसने थिरकना सीख लिया है।
सलाम है तेरे जज़्बे को,तूने हिम्मती बनाया है,
अपने आप को आगे बड़ा कईयों को रास्ता दिखाया है,
अब हर किसी ने ये माना है,
अनसुन कर पायल की छम- छम
उसने थिरकना सीख लिया है
खोल अब घूघंट के पट
उसने बोलना सीख लिया है।