चैनल तब और अब
चैनल तब और अब
चैनल जो बदलो
हर चैनल पर
होड़ देखने को मिलती
घर तोड़ने वाले सीरिअल
गलत एड की ही बहुलता मिलती
न्यूज़ चैनल अब सत्यता से परे रहते
उन्हें बस टीआरपी से मतलब होता
सच्ची खबरे नहीं जहां टीआरपी बढ़ सकती
उन खबरों को ही ज्यादा बताया जाता
हिंसा वाले सीरिअल और मूवी भी पहले से ज्यादा बनते
उन्हें सोचना चाहिए इससे समाज और देश पर क्या प्रभाव पड़ेगा।