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Anil Jaswal

Inspirational

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Anil Jaswal

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चाणक्य इमानदारी की पराकाष्ठा

चाणक्य इमानदारी की पराकाष्ठा

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चाणक्य एक बहुत विद्वान,

राजनीति शास्त्र के नितीकार,

भारतीय अर्थव्यवस्था पे,

पहली किताब लिखने वाले ही नहीं,

बल्कि एक बहुत,

इमानदार व्यक्तित्व के मालिक थे।


एक बार,

पड़ोसी देश का,

कोई मंत्री,

उनसे मिलने,

उनकी कुटिया में आया,

तो उन्होंन अपनी कुटिया में,

दो दीपक जला रखें थे,

वो जब उनसे बात करते थे,

तो एक दीपक जला लेते थे,

और जब अपना निजी काम करते थे,

तो दुसरा दीपक जला लेते थे,

उस व्यक्ति से न‌ रहा गया,

उसने चाणक्य से कहा,

आचार्य आप कभी एक दीपक जला‌‌ लेते हैं,

कभी दुसरा,

मुझे समझ नहीं आता।


तो वो‌‌ चाणक्य का उतर सुन दंग रह गया,

चाणक्य बोलैं,

जब राज्य का काम करता हूं,

तो राज्य का तेल जलाता हूं,

जब निजी काम करता हूं,

तो निजी तेल जलाता हूं।


एक दूसरी बात,

चाणक्य एक बहुत समृद्ध राष्ट्र के,

बहुत ताकतवर मंत्री थे,

लेकिन फिर भी वो,

शहर के बाहर,

एक कुटिया में रहते थे। 


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