चाँदनी
चाँदनी
ओढ़कर सितारों की चुनर,
बनी चांदनी चांद की दुल्हन,
रात पूर्णिमा को पाया
इसने नवयौवन,
फैलाकर बाहें चांद ने,
लगाया गले चांदनी को,
चांद भी मदमस्त हो,
मुस्काया मंद मंद।
रात पूनम की बनी साक्षी,
प्रणय मिलन के दोनों की,
विरह वेदना अमावस की,
सही दोनों ने निशदिन सी ।
जब मिला चांद का प्रेम अपार,
प्राप्त हुई परिपूर्णता साकार,
बिखेर कर अपनी मधुर मुस्कान,
बनी चांदनी चांद की दुल्हन,
ओढ़ कर सितारों की चुनर,
बनी चांदनी चांद की दुल्हन।