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Nandita Tanuja

Fantasy

4  

Nandita Tanuja

Fantasy

चांद...!!

चांद...!!

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मुझे बहुत प्रिय था...

उन सितारों को इक टक देखना..

चंद्रमा का बीच में तन्हा रहना...

औ सितारों के साथ चमकना....

फिर इक रात मेरी तन्हाई की...

सूना आसमां.. सितारों का रुठना

अमावस्या की काली रात औ...

चंद्रमा का यूं ओझल हो जाना...

फिर न दिखे आंखों से हसीं ख्वाब..

खत्म हो गयीं वफ़ा की दास्तां...

औ ज़ारी रहा फिर सितारों का..

एकबारगी टूट कर गिरना..

मन्नतों से जुड़ना औ इश्क़ में

खोना-पाना, जिंदगी को समेटना...!!



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