चाँद तू छुप ना जाना
चाँद तू छुप ना जाना
छनक उठे पायल के घुँघरू
सुन आहट तेरे आने की
हाथों का कँगना भी इनका
ले आशाएं मनभावन सी
सुन चंचल पुरवाई पवन
रुक हौले से उसे आने दे
बैरी चाँद तू छुप ना जाना
चाँदनी को बिखर जाने दे
अँधियारा कहीं राह न रोके
निशा डराए घनघोर घनी
गिन गिन हारी गगन पे तारे
महक रही हैं नागफनी
पीपल पात झूमते डाली
परछाई तेरी ढूँढ रही
खनक उठी हाथों की चूड़ी
विरह वेदना जाए न सही
रात अँधेरी बीत चली है
दिखती अम्बर पे लाली
स्वप्न टूटकर गिरे धरातल
धूप झाँकती है जाली
बीत रही हैं दिन औ रातें
आशाएं धूमिल होती
मुखड़े पर चिंता की रेखा
पीड़ा के बीजे बोती
चूड़ी बिंदी पायल कंगना
चमक नही खोने पाए
आ जाओ सीमा के प्रहरी
तुम बिन जियरा अब घबराए।