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Shweta Chaturvedi

Romance

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Shweta Chaturvedi

Romance

चाँद से साझेदारी

चाँद से साझेदारी

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चाँद को देख कर लगा कि 

शायद सागर के पारदर्शी पानी में 

डुबकी लगा कर 

बदन से झरती हुई बूँदे 

मेरे ऊपर छिड़क कर बोल रहा है 

कि लो तुम भी थोड़ा चख लो 

उन हवाओं में घुली साँसों को, 

उस पानी उस छुवन को। 


आज आसमान के इस फैलाव पर 

नाज़ हो रहा है, 

कि कहाँ तक फैली हैं इसकी बाहें, 

तुम्हें थाम कर मुझे भी थाम लिया। 

और चाँद पर सवार होकर बेबाक़ी से 

सीधा माथा चूम लिया। 


याद तो हर पल आते हो 

पर ना जताने का मन करता 

ना बताने का। 

पर हवाओं में घुलने का मन ज़रूर करता है। 


कहीं को जा कर टकरा जाऊँ, 

पर क्या ये हवाएँ दूर सुदूर 

सरहदें पार कर पहुँचती होंगीं। 


फिर लगता है चाँद से ही साझेदारी कर लूँ 

दूर कहीं पी के पास ले चले 

और मैं पी की बाँहों में सिमट जाऊँ।


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