चाँद जैसी ज़िंदगी
चाँद जैसी ज़िंदगी
है कई रूप चाँद के,
जिस तरह है ज़िदंगी के।
अलग आकार अलग ढंग,
ज़िंदगी में भी है ऐसे ही कुछ रंग।
चाँद जैसे होता कभी ज्यादा कभी कम,
वैसे ही होते है कभी खुशी कभी ग़म।
मिलता है सुकून चाँद की चाँदनी को देख कर,
और आता है करार खुशियों की रौशनी पाकर।
चाँद पर दाग, सोचते ही लग जाए डर,
हो बस ग़म अगर, सोचके ही आँखें जाए भर।
हर रात होता है चाँद का इंतज़ार,
और हम रहते हैं हर पल के लिए तैयार।
चाँद को जैसे ज़रूरी है सितारों का साथ,
होता है वैसे ही ज़रूरी दोस्तों का हाथ।
जब दोनों साथ हो तो है खूबसूरत नज़ारा,
मिले जब एक दूसरे का सहारा।
मुश्किलों के बिना जीवन है अधूरा,
तभी तो एक लंबे सफर के बाद नज़र आए चाँद पूरा।
इसी बात का है चाँद को खुद पर गुरूर,
और हमें है अपनी मंज़िल पर पहुंचने का सुरूर।