STORYMIRROR

Nikita Naresh

Abstract

4  

Nikita Naresh

Abstract

दिल और दिमाग कि जंग

दिल और दिमाग कि जंग

1 min
356

दिल कुछ और कह रहा है, दिमाग कुछ और, 

किसकी सुननी चाहिए, जाऊं किस ओर?

दिल की सुनो तो दिमाग बुरा मान जाता है, 

और दिमाग की सुनो तो दिल मुरझा जाता है। 

दिल है एहसासों का शहर,

और दिमाग में होता है ख्यालों का कहर।

किस राह पर जाना है समझ नहीं आता, 

कौनसा सही कौनसा गलत है नहीं पता। 

दोनों की सबसे बड़ी ये है मुश्किल, 

की बात बात पर लड पदते है दिमाग और दिल। 

जब दिमाग चाहता हो कुछ सही,

तब दिल ने ना सुनने की ठानी वही। 

और जब दिल ने लिया कोई फैसला, 

दोनों के बीच बड गया फासला। 

अब कौन सही या गलत?

बुरी है दोनों की हालत। 

जीतना है दिमाग को तो असलियत दिखाता है, 

और जब दिल की बारी आए तो सपने सुजाता है। 

आदत है ऐसी की ना चाहते हुए भी दिल की सुननी पडती है, 

और असलियत को नजरअंदाज कर देती है। 

इसी उलझन में जीता है इंसान, 

कि रखे किसका मान?

अगर दिमाग की सुनो तो दर्द बरदाश कर भूल जाये सब,

और जब दिल की सुनो तो भूला हुआ दर्द भी याद दिला दे रब।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract