चाहता है दिल
चाहता है दिल
रह रह के धड़क जाता है दिल
धरती को भी आसमा दिखाता है दिल
ये दिल की ही है शैतानियां "तनहा"
तन्हाई में भी महफ़िल सजाता है दिल।
गुस्ताखियों का पुलिंदा बनाता है दिल
सरखोशोयों में बहक जाता है दिल
ये दिल ही इतना फितूर में रहता है
हर जुनून को पार किये जाता है दिल।
अब तो हर धड़ी इतराता है दिल
वक़्त का दरिया पलों में बहाता है दिल
ये दिल ही तुम्हें जाने क्यों इतना चाहता है
कि अब हर पल तुम्हारा ही साथ चाहता है दिल।

