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Vaibhav Dubey

Romance

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Vaibhav Dubey

Romance

चादर से सिलवटें

चादर से सिलवटें

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याद में तेरी दिल कितना होकर मजबूर पड़ा है

ज़िस्म है गद्दे पर लेटा और तकिया दूर पड़ा है।

 

दूर हो तुम तो चादर से सिलवटें भी जैसे रूठ गईं

कमरे का सामान भी लगता पीकर चूर पड़ा है।


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