बूढ़ा पीपल
बूढ़ा पीपल


बूढ़े पीपल की गहरी छाँव में
बड़ा सुकून बसता है मेरे गाँव में
मिट्टी के मकानों में सच्चे लोग
सादे लिबास में सादी सोच
लाज की चुनर सर पर ओढ़े
संस्कृति की झांझर मेरे पाँव में
बड़ा सुकून बसता है मेरे गाँव में
दीवारें नहीं यहाँ दिल जुड़े हुए
खुले आकाश में तारे सजे हुए
आँगन में नानी के किस्से हर रात
और चौपाल सजती है हर शाम में
बड़ा सुकून बसता है मेरे गाँव में