बूँद
बूँद
छलक रही है बूँद-बूँद
झूम रही अब यह धरा
खिल रहा है मन का आँगन
देखकर यह प्रेम वर्षा !
हिलती टहनी गिरता पानी
है अनोखी यह कहानी
बुलबुले सा है यह जीवन
पर मिटी न प्रेम कहानी!
शोरगुल में खोया मानव
है एकाकी उसका जीवन
जा रहा है अपने पथ पर
चाहे बस वह प्रेम समर्पण!
कर्म से ही भाग्य बदले
चाहतों के पर भी निकले
मंज़िलें तब कदम चूमे
वक्त की जब सूई घूमे!