Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Randheer Rahbar

Drama

4.6  

Randheer Rahbar

Drama

" बुढ़ापे की सनक"

" बुढ़ापे की सनक"

2 mins
464


उम्र के इस पड़ाव पर,

जाग उठी मन में ठनक

जिंदगी यूँ ही गुजारी,

पाने को सिक्कों की खनक I


दौड़ता रहा यूँ हीं,

यहाँ- वहाँ,

मैं था बेख़बर I

दबी ही रह गई

दिल की वो सिसकियाँ ,

ना लगी मुझे

पहले प्यार की खबर I


ये अजब ठहराव - सा है,

जिंदगी के खेल मे I

उम्र के इस दौर में

कशमकश सी हो रही,

भावनाओं के मेल में I


अब अचानक क्या हुआ,

मन मेरा बहने लगा ,

जकड़ा हुआ सा जा रहा,

तेरे हुस्न की इस जेल में I


मैं हुआ बरस पचास,

बरसों से थी तू मेरे पास I

दिल की रागनी रोशन हुई ,                          

जाग गए अब मेरे

भूले - बिसरे सब अहसास I


ए - बादामी रूपवाली,

आँखों में तू छा रही ,

मध्यम - मध्यम धड़कनो को,

और यूँ बढ़ा रही I


भौंवों के बीच वो बिंदिया तेरी,

आँखों की वो शोखियाँ

लबों पे मुस्कान तेरी,

बेचैनी यूँ बढ़ा रही I


मांग में सिंदूर जो,

बांधता विश्वाश में

जीवन भर साथ निभाने का वचन,

याद वो दिला रही I


वो कजरारे नैना तेरे,

मस्तियों से भरे ,

काजल की वो कालिमा,

बुरी नज़रो से बचा रही I


गले का हार

नाक में नथ तेरी ,

याद दिलाती है

प्यार में शपथ तेरी I


हाथों की मेहंदी तेरी

श्रृंगार की कारीगिरी ,

उस पर वो गाढ़ा रंग

गहरे प्यार को जता रही I


कंगन तेरे श्रृंगार के

माँ ने भरे जिसमें असीम प्यार थे ,

आज भी जब उन्हें पहने है तू

माँ की याद फिर आ रही I


याद हैं वो चूड़ियां

कांच की, वो लाह की ,

जब भी खनकती हैं वो

रही, मेरे दिल को संवारती I


देखकर अंगूठी तेरी,

याद में अनूठी वही ,

तेरे हाथ लिए जब हाथ में

उन यादों में डुबा रही I


पाँव में पाजेब की सुमधुर ध्वनि तेरी,

पग धरे तू जहाँ - जहाँ ,

घर में झंकार - सी,

रास्ते से हटो जरा

बहू मेरी जो आ रही


जी सुनो ! जी सुनो !

ख़्वाबों से उठो जरा,

घडी 10 अभी बजा रही

माना आज रविवार है,

तुमको मुझ से प्यार है

लेकिन!

उम्र का ख्याल हो,

अब ना यूँ सपने बुनो

छोड़ो प्यार की धनक,

ये बुढ़ापे की सनक I


हाँ ये मानती हूँ मैं

बारिशों का दौर है,

बयार ये बता रही I

माना कि बहुत देर से ,

आई रुत ये इज़हार की ,

आओ फिर भीगें जरा

मैं अभी हूँ आ रही ....

मैं अभी हूँ आ रही .....I


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama