बुरा न मानो होली है
बुरा न मानो होली है
रंग और प्रकृति का साथ
फूलों में महक
और कविता में रंग
इसी से सजाते हैं।
कल्पनाएं लेती हैं
अंगड़ाइयाँ
नर-नारी नाच उठते हैं
घर-घर बढ़ता है शोर
बुरा न मानो होली है।
रंग से सराबोर हो
नाच उठती है
धरती व प्रकृति
प्रकृति के रंग
और होली का संग
जीवन में भर देता है
आनंद और उल्लास।
लाता है मधुमास जीवन में
रंग बिना सब है बे-नूर
होली घोलती है,
रस जीवन में।
कविता के संबंध में दस शब्द:
प्रकृति से जुड़कर जीवन में
रस-रंग घोलती होली।