बुलंद उड़ान
बुलंद उड़ान
बुलंद हो मेरे लाल,
बस यही है एक माँ,
की आरज़ू, जैसे तूने
लिए हैं छोटे, छोटे क़दम,
बढ़ने के लिए, ऐसे ही तू,
बढ़ अपने लक्ष्य की ओर,
चाहे हो वो छोटी-छोटी उड़ान,
तू कर बुलंद ख़ुदी को,
इतना,ख़ुदा ख़ुद पूछे,
बंदे बता तेरी रज़ा क्या है
कर तू अपने को बुलंद,
इतना एक माँ की,
आरज़ू पूरी हो।