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Ranjana Mathur

Drama

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Ranjana Mathur

Drama

बुढ़ापा न कोई बीमारी

बुढ़ापा न कोई बीमारी

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जिनके पास न पैसों की खनक

न चेहरे पे रही नूर और चमक। 

बालों में उठे मेंहदी की महक

लोग कहें इसे बुढ़ापे की सनक।


बदन दर्द ने लिया है जकड़

छड़ी लिए मगर चलते अकड़।

कहीं दिखे न उम्र की झलक

लोग कहें इसे बुढ़ापे की सनक।


हड्डी पसलियाँ हुई हैं खोखली

मुंह में न दाँत आवाज़ पोपली।

स्वभाव में है गुस्से की धमक

लोग कहें इसे बुढ़ापे की सनक।


बूढ़ा शब्द लगता है अपमान

इससे उनकी घटती लगे शान।

खुद में ढूंढें युवाओं की लहक

लोग कहें इसे बुढ़ापे की सनक।


वृद्धों को बुढ़ापा शब्द लगे गाली

पुनःजवानी के हैं पुलाव ख्याली।

न कोई साथ रिश्ते जाते हैं दरक

लोग कहें इसे बुढ़ापे की सनक।


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